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लेखनी कहानी -29-Sep-2023 फॉर्म हाउस

फॉर्म हाउस  भाग 14

जांच के लिए अदालत ने एक महीने का समय दे दिया था । इतना समय बहुत था हीरेन के लिए इस केस की तह में जाने के लिए । पर मीना तो कुछ और ही चाहती थी । उसने फरमाइश रख दी कि कुछ दिनों के लिए "शिमला" घूमने चलें । बहुत दिनों से वे लोग कहीं घूमने गये भी नहीं थे इसलिए जासूसी और अदालत की दुनिया से निजात लेकर कहीं मौज मस्ती मनाने का प्रस्ताव मीना ने रख दिया । मीना का प्रस्ताव हीरेन को पसंद आ गया और उसे उस ट्रिप की सारी  जिम्मेदारी मीना को ही सौंप दी । दोनों जने शिमला के लिए फुर्र हो लिए ।

शिमला पहुंचते ही उन्हें एक गाड़ी लेने के लिए स्टेशन पर आ गई ।  "कौन सी होटल चल रहे हैं हम लोग" ? हीरेन ने पूछा  "अभी थोड़ी देर में पता चल जाएगा , जनाब । थोड़ा सा सब्र कीजिए" । मीना मुस्कुराते हुए बोली  "आपका भी कोई जवाब नहीं है जान । अंत तक सस्पेंस बरकरार रखती हो । क्या कोई जासूसी उपन्यास पढती हो" ?  "एकदम सही पहचाना आपने । एक जासूस से दिल लगाया है तो जासूसी उपन्यास पढना लाजिमी है । "श्री हरि" के जासूसी उपन्यास होते भी बड़े अच्छे हैं । अंत तक सस्पेंस बना रहता है उनमें । इसीलिए उन्हें ही पढती हूं" ।  "अच्छा , तो वहां से सीखा है आपने ये सस्पेंस बनाये रखना" ? हीरेन ने उसकी प्रशंसा करते हुए कहा ।

उन दोनों में कुछ देर और नोंक झोंक होती लेकिन गाड़ी एक होटल के कम्पाउण्ड में आकर रुक गई । हीरेन मीना के साथ गाड़ी से नीचे उतरा तो उसका ध्यान उस होटल की ओर गया । "होटल होली डे इन" । हीरेन ने जैसे ही यह नाम पढ़ा वह खुशी के मारे चीख पड़ा "व्हाट ए सरप्राइज, बेबी" ?  "आपको पसंद आया" ? मीना भी चहकते हुए बोली  "तुम पसंद की बात कर रही हो , तुमने तो मेरा दिल जीत लिया, मीना" । हीरेन होटल की सीढियां चढते हुए बोला । "कौन सा कमरा है" ?  "थोड़ा सब्र करना सीखिए जनाब । इतना अधीर मत होइए । काउंटर पर पता चल जाएगा कि कमरा नंबर क्या है" । मीना सस्पेंस बरकरार रखते हुए बोली ।  "ओह ! मैं तो भूल ही गया कि मैं किससे बात कर रहा हूं । आखिर सस्पेंस के सम्राट की फैन इतना सस्पेंस तो बरकरार रख ही लेगी ना" । और हीरेन ने मीना के गाल पर एक चिकोटी काट ली ।  "उई मां ! ये क्या कर रहे हो ? सब लोग देख रहे हैं" । मीना आनंदित होते हुए लेकिन कृत्रिम रोष का प्रदर्शन करते हुए बोली ।  "अभी तो चिकोटी ही काटी है, जानेमन । अभी तो ..." । हीरेन अपनी बात पूरी कर पाता इससे पहले ही वे दोनों अपने कमरे के सामने पहुंच गये ।  "1111 ! अरे वाह ! मजा आ गया आज तो ! तुमने तो इस ट्रिप में चार चांद लगा दिये मीना । कसम से" । हीरेन उत्तेजना में मीना का न जाने क्या हाल करता लेकिन मीना ने उसे इशारों से रोक दिया । होटल के स्टॉफ के सामने क्या अच्छा लगता वो सब" ?  "ओह , सॉरी" फिर भी हीरेन ने चुपके से मीना का हाथ पकड़ा और उसे जोर से दबा दिया ।  "हाय मैं मर गई" ! न चाहते हुए भी मीना की चीख निकल पड़ी ।

जैसे ही दोनों कमरे में दाखिल हुए , हीरेन ने मीना को ऐसे दबोच लिया जैसे कोई बिलाव किसी कबूतरी को दबोच लेता है ।  "ओह मीना ! तुमने तो आज मुझे बहुत बेशकीमती उपहार  दिया है । सच में, मालामाल कर दिया तुमने तो । यही वह होटल है और यही वह कमरा है ना जहां हम दोनों की पहली मुलाकात हुई थी" ? हीरेन की आंखें आश्चर्य से चमक रही थीं । "गजब ! बहुत बढिया प्लानिंग की है तुमने , मीना" । कहते कहते हीरेन ने मीना के अधरों को अपने अधरों के बीच में लेकर उन्हें चूस लिया । मीना भी इन पलों के लिए न जाने कब से तरस रही थी । यहां न अदालत की मर्यादा थी और न ही जासूसी का आवरण । यहां बस दो प्रेमी थे और उन दोनों के बीच में थे उनके जिन्दा जजबात । दोनों जने अपनी पहली मुलाकात की यादों में खो गये ।

मीना की जान पहचान हीरेन से फेसबुक पर हुई थी । मीना ने हीरेन की जासूसी के कारनामे खूब सुन रखे थे । हीरेन ने अपने कारनामों पर कई उपन्यास भी लिख दिये थे । मीना ने वे सब उपन्यास पढ डाले थे और वह इन उपन्यासों को पढकर हीरेन की दीवानी हो गई थी । उसने हीरेन से फेसबुक पर दोस्ती कर ली । यूं तो हीरेन की फ्रेंड लिस्ट में अधिकांशत: लड़कियां ही थीं फिर भी मीना में कुछ खास बात थी जिससे हीरेन जैसा जासूस उसकी ओर आकर्षित हो गया था । दोनों का प्यार फेसबुक पर ही परवान चढ़ने लगा था । दोनों ने एक दूसरे को देखा भी नहीं था मगर दोनों एक दूसरे से प्यार कर बैठे थे । हीरेन लखनऊ रहता था और मीना मुम्बई । दोनों का मिलन कैसे होता ? आखिर मीना ने एक युक्ति निकाल ही ली । युक्ति निकालने में मीना माहिर थी । उसने अपनी सहेली के साथ शिमला की एक ट्रिप बना ली । इससे घरवालों को शक भी नहीं हुआ और उसका हीरेन से मिलना भी तय हो गया ।

हीरेन को भी शिमला अपने काम से आना था इसलिए उन दोनों के मिलन का सुखद संयोग बन गया । होटल में दो कमरे बुक करा दिये गये । इन कामों में मीना एक्सपर्ट है , उसने सारी व्यवस्था करा दी थी । मीना की सहेली रीना भी उसके साथ में थी और वह मीना के चेहरे के भावों को पढ़कर उससे बहुत मजे भी ले रही थी । दोनों सहेलियों में "दिल का रिश्ता" था । मीना और रीना दोनों सहेलियां होटल में पहले पहुंच गयी थीं । वे दोनों एक कमरे में बैठकर हीरेन का इंतजार करने लगीं । रीना ने हीरेन के बारे में सुना तो बहुत था मगर उसे कभी देखा नहीं था इसलिए वह भी हीरेन को देखने के लिए बहुत उत्सुक थी ।

आखिर वह घड़ी आ ही गई जिसका इंतजार मीना को था । जब दरवाजे पर एक हलकी सी दस्तक हुई तो मीना की सांस ऊपर की ऊपर और नीचे की नीचे ही रह गई । मीना की यह हालत देखकर रीना को हंसी आ गई ।  "इतना क्यों घबरा रही है तू ? वह कोई शेर नहीं है जो तुझे खा जाएगा" ? रीना ने उसे छेड़ते हुए कहा ।  अब मीना रीना को कैसे समझाए कि हीरेन उसके लिए क्या थे ? मीना लाज के मारे पूरी सिमट गई थी । मीना की हालत देखकर रीना को हंसी आ गई और उसने आगे बढकर दरवाजा खोल दिया ।

दरवाजे पर एक लंबे पूरे स्मार्ट से नौजवान को देखकर दोनों सहेलियां हतप्रभ रह गईं । मीना यह तो जानती थी कि हीरेन बहुत स्मार्ट है पर इतना स्मार्ट होगा, यह उसे पता नहीं था । हीरेन की पर्सनलिटी देखकर मीना हैरान रह गई और रीना तो पलक झपकना ही भूल गई ।  "दरवाजे पर ही खड़ा रखने का इरादा है क्या" ? हीरेन की आवाज सुनकर दोनों चौंकीं ।  "ओह ! मोस्ट वैलकम सर" । जैसे तैसे रीना बोली । मीना अभी भी छुईमुई की तरह खड़ी रही थी ।  हीरेन कमरे में आ गया था । वह दो बूके लाया था । पहला बूके रीना को देते हुए बोला  "नमस्ते साली साहिबा" । हीरेन के अधरों पर शरारती मुस्कान थी ।  "साली साहिबा" ? इस संबोधन से रीना चौंकी थी ।  "अब और क्या कहें आपको ? चूंकि आप मीना की सहेली हो तो हमारी साली ही तो हुई ना ? हां, यदि आप मीना के मिलने से पहले मिलतीं तो फिर आप कुछ और हो सकती थीं" । हीरेन अपनी शरारतों से बाज नहीं आ रहा था ।

"आप भी ना बड़े मजाकिया हो, जीजू ! अब ठीक है" ? रीना सामान्य होने का प्रयास करने लगी ।  "आखिर आ गईं ना लाइन पे" हीरेन रीना को देखकर बोला । "इसी में भलाई है साली साहिबा" । उसके अधरों पर अभी भी शरारत झलक रही थी ।

मीना दम साधे हुए बुत की तरह खड़ी हुई थीं । वह अभी तक कुछ नहीं बोली थी । मीना को सिमटी हुई देखकर हीरेन आगे बढ़ा और मीना के हाथ में बूके देता हुआ बोला "जाने बहार , जानेजाना , जाने जिगर , जाने तमन्ना । आपका इस हीरेन के दिल में स्वागत है" ।  कहते हुए हीरेन ने मीना को बांहों में भरने की कोशिश की ।  "अरे अरे , ये क्या करते हो जीजू ? अपनी साली के सामने ही रास लीला शुरू कर दी आपने तो ! थोड़ी बहुत शर्म बची है या नहीं" ? रीना अपने होंठ दांतो तले दबाकर बोली । मीना ने शर्म के मारे अपने दोनों हाथ अपने चेहरे पर रख लिये ।  "हम भी क्या करें साली साहिबा ? जब आप दाल भात में मूसलचंद बनी हुई हो तो फिर हमें भी बेशर्म बनना होगा" । हीरेन बड़ी बेशर्मी से बोला और हंस दिया । रीना को समझ में आ गया था कि अब उसे क्या करना चाहिए । और वह मीना को बांयी आंख मारकर कमरे से बाहर आ गई और पास के कमरे में चली गई ।

हीरेन तो इसी पल का इंतजार कर रहा था । उसने एक पल की देरी किये बिना मीना को अपनी मजबूत बांहों में कस लिया और उस पर चुंबनों की झड़ी लगा दी । जब दो प्रेमी मिलते हैं तो फिर शब्द नहीं शरीर बोलते हैं । दोनों ने एक दूसरे को पहली बार देखा था इसलिए वे दोनों एक दूसरे को बहुत देर तक देखते रहे । फिर मीना हीरेन के सीने से लिपट गई । उसे लगा कि वह किसी और ही दुनिया में आ गई है । मिलन में इतना सुख होता है , यह तो उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी । इस अनिर्वचनीय आनंद में वे दोनों घंटों तक एक दूसरे की बाहों में गुंथे रहे और निगाहों से बातें करते रहे ।

उस मिलन की यादों में खोये खोये से वे दोनों आज फिर से गुत्थमगुत्था हो गए । पहली मुलाकात को कोई भूल सकता है क्या कभी ? आज वह मुलाकात फिर से जीवन्त हो गई थी ।

शेष अगले भाग में ।  श्री हरि  16.10.23

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4 Comments

RISHITA

20-Oct-2023 10:55 AM

V nice story

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Mohammed urooj khan

18-Oct-2023 12:13 AM

👌👌👌👌

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Punam verma

17-Oct-2023 08:00 AM

Nice👍

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